मजदूरों की हालत पर फ‍िर बोले गुलजार, 'कुछ ऐसे कारवां देखे हैं सैंतालिस में भी'

गुलजार (Gulzar) ने अपनी एक कविता 'बंटवारा' (Batwara) में वासी मजदूर (Migrating labours) की परेशानी और कोरोना के कहर को बयां किया है.

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